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आधुनिक लोककथा/ईश्वर की मौत
ईश्वर की मौत देवनगरी से संदेश वायरल हुआ कि बीती रात ईश्वर दिवंगत हुआ. अगले सात दिनों तक तीनों लोकों में शोककाल लागू रहेगा. इस दौरान न तो इंद्रलोक में अप्सराओं का नृत्य होगा. न कोई हवन, कीर्तन, पूजा–पाठ वगैरह. संदेश की प्रति आधिकारिक रूप से भी तीनों लोकों में पहुंचा दी गई. नारद चाहते […]
आधुनिक लोककथाएं
जनविद्रोह तानाशाह का मन एक बकरी पर आ गया. बकरी भी अजीब थी. बाकी लोगों के आगे ‘मैं…मैं’ करती, परंतु तानाशाह के सामने आते ही चुप्पी साध लेती थी. तानाशाह उसकी उसकी गर्दन दबोचता. टांगें मरोड़ता. कानों को ऐंठ–ऐंठकर लाल कर देता. बकरी तानाशाह की टांगों में सिर फंसाकर खेल खेलती. दर्द भुलाकर उसकी हथेलियों […]
आधुनिक लोककथाएं
आधुनिक लोककथा —एक गाय और भैंस को प्यास लगी. दोनों पानी पीने चल दीं. चलते–चलते गाय ने भैंस से कहा—‘मैं वर्षों तक न भी नहाऊं तब भी पवित्र कही जाऊँगी. ‘कोई क्या कहता है, से ज्यादा जरूरी अपनी असलियत पहचानना है.’ भैंस बोली. गाय की कुछ समझ में न आया, बोली—‘मैं समझी नहीं, तू चाहती […]
अच्छे दिन
चारों ओर बेचैनी थी. गर्म हवाएं उठ रही थीं. ऐसे में तानाशाह मंच पर चढ़ा. हवा में हाथ लहराता हुआ बोला— ‘भाइयो और बहनो! मैं कहता हूं….दिन है.’ भक्त–गण चिल्लाए—‘दिन है.’ ‘मैं कहता हूं….रात है.’ भक्त–गण पूरे जोश के साथ चिल्लाए—‘रात है.’ हवा की बेचैनी बढ़ रही थी. बावजूद उसके तानाशाह का जोश कम न […]
तानाशाह—दो
बड़े तानाशाह के संरक्षण में छोटा तानाशाह पनपा. मौका देख उसने भी हंटर फटकारा—‘सूबे में वही होगा, जो मैं चाहूंगा. जो आदेश का उल्लंघन करेगा, उसे राष्ट्रद्रोह की सजा मिलेगी.’ हंटर की आवाज जहां तक गई, लोग सहम गए. छोटा तानाशाह खुश हुआ. उसने फौरन आदेश निकाला—‘गधा इस देश का राष्ट्रीय पशु है, उसे जो […]
छोटा मंदिर : बड़ा मंदिर
एकांत देख बड़े मंदिर का ईश्वर अपने स्थान से उठा. बैठे–बैठे शरीर अकड़ा, पेट अफरा हुआ था. डकार लेते–लेते नजर सामने खड़ी कृषकाय आकृति पर नजर पड़ी. बड़े मंदिर का ईश्वर कुछ पूछे उससे पहले ही वह बोल पड़ी—— ‘हम दोनों एक हैं.’ ‘होंगे, मुझे क्या!’ बड़े मंदिर के ईश्वर ने तपाक से कहा. ‘बस्ती […]
नियुक्ति
अकादमी के शीर्षस्थ पद के लिए प्रत्याशियों को बुलाया गया. भर्ती के लिए दो प्रकार की परीक्षाएं तय थीं. पहली परीक्षा के लिए प्रत्याशियों को एक हॉल में बिठाया गया. उनके ठीक सामने एक मंदिर था. मंदिर में एक त्रिशूल रखा गया था. त्रिशूल के आगे पत्र-पुष्प, फूलमालाएं, चंदन लेप, धूप-दीप-नैवेद्य रखे थे. बराबर में […]
विविध की डायरी
बालकहानी विविध के दादू को डायरी लिखने का शौक है. बोर्डिंग में जाने पर विविध को घर की याद आई तो उसने भी कलम उठा ली. ये पन्ने उसी की डायरी के हैं, जो उसने अपने दादू को संबोधित करते हुए लिखे हैं— 17 फरवरी 2015 आज बोर्डिंग का तीसरा दिन है. मैं दो दिनों […]
आडंबर
कसाई के पीछे घिसटती जा रही बकरी ने सामने से आ रहे संन्यासी को देखा तो उसकी उम्मीद बढ़ी. मौत आंखों में लिए वह फरियाद करने लगी— ‘महाराज! मेरे छोटे-छोटे मेमने हैं. आप इस कसाई से मेरी प्राण-रक्षा करें. मैं जब तक जियूंगी, अपने बच्चों के हिस्से का दूध आपको पिलाती रहूंगी.’ बकरी की करुण […]
कवियित्री
कुत्ता कवियों और साहित्यकारों से बहुत प्रभावित था. हालांकि कविता उसके लिए दूर की कौड़ी थी. किंतु कवि की तान पर जब वह सैकड़ों व्यक्तियों को एक साथ अपनी गर्दन हिलाते देखता तो समझ जाता कि बहुत ऊंची बात कही गई है. उस दिन एक घर के सामने से गुजरते हुए कुत्ते को जब पता […]