Tag Archive | संधान

आधुनिक लोककथाएं

आधुनिक लोककथा —एक गाय और भैंस को प्यास लगी. दोनों पानी पीने चल दीं. चलते–चलते गाय ने भैंस से कहा—‘मैं वर्षों तक न भी नहाऊं तब भी पवित्र कही जाऊँगी. ‘कोई क्या कहता है, से ज्यादा जरूरी अपनी असलियत पहचानना है.’ भैंस बोली. गाय की कुछ समझ में न आया, बोली—‘मैं समझी नहीं, तू चाहती […]

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अच्छे दिन

चारों ओर बेचैनी थी. गर्म हवाएं उठ रही थीं. ऐसे में तानाशाह मंच पर चढ़ा. हवा में हाथ लहराता हुआ बोला— ‘भाइयो और बहनो! मैं कहता हूं….दिन है.’ भक्त–गण चिल्लाए—‘दिन है.’ ‘मैं कहता हूं….रात है.’ भक्त–गण पूरे जोश के साथ चिल्लाए—‘रात है.’ हवा की बेचैनी बढ़ रही थी. बावजूद उसके तानाशाह का जोश कम न […]

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तानाशाह—दो

बड़े तानाशाह के संरक्षण में छोटा तानाशाह पनपा. मौका देख उसने भी हंटर फटकारा—‘सूबे में वही होगा, जो मैं चाहूंगा. जो आदेश का उल्लंघन करेगा, उसे राष्ट्रद्रोह की सजा मिलेगी.’ हंटर की आवाज जहां तक गई, लोग सहम गए. छोटा तानाशाह खुश हुआ. उसने फौरन आदेश निकाला—‘गधा इस देश का राष्ट्रीय पशु है, उसे जो […]

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मंत्रबल

बैठे-ठाले संघ के सिद्ध–पुरुष का मंत्र द्वारा चीन के छक्के छुड़ाने का बयान सुन, एक उत्साही पत्रकार उनके दरबार में जा धमका— ‘सर! यदि मंत्र–जाप द्वारा दुश्मन की कमर तोड़ी जा सकती है तो परमाणु बम बनाने के लिए अरबों रुपये खर्च करने की क्या आवश्यकता है?’ ‘हट बुड़बक!’ सिद्ध–पुरुष का चेहरा तमतमा गया. आंखें […]

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तानाशाह

तानाशाह ने हंटर फटकारा —‘मैं पूरे राज्य में अमन–चैन कायम करने की घोषणा करता हूं. कुछ दिन के बाद तानाशाह ने सबसे बड़े अधिकारी को बुलाकर पूछा—‘घोषणा पर कितना अमल हुआ?’ ‘आपका इकबाल बुलंद है सर! पूरे राज्य में दंगा–फसाद, चोरी चकारी, लूट–मार पर लगाम लगी है. आपकी इच्छा के बिना लोग सांस तक लेना […]

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छोटा मंदिर : बड़ा मंदिर

एकांत देख बड़े मंदिर का ईश्वर अपने स्थान से उठा. बैठे–बैठे शरीर अकड़ा, पेट अफरा हुआ था. डकार लेते–लेते नजर सामने खड़ी कृषकाय आकृति पर नजर पड़ी. बड़े मंदिर का ईश्वर कुछ पूछे उससे पहले ही वह बोल पड़ी—— ‘हम दोनों एक हैं.’ ‘होंगे, मुझे क्या!’ बड़े मंदिर के ईश्वर ने तपाक से कहा. ‘बस्ती […]

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वयं ब्रह्माव

तानाशाह हंटर फटकारता है. लोग सहमकर जमीन पर बिछ जाते हैं. कुछ पल बाद उनमें से एक सोचता है—‘तानाशाही की उम्र थोड़ी है. जनता शाश्वत है.’ उसके मन का डर फीका पड़ने लगता है. ‘अहं ब्रह्मास्मिः!’ कहते हुए वह उठ जाता है. उसकी देखा–देखी कुछ और लोग खड़े हो जाते हैं. सहसा एक नाद आसमान […]

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वेन की कथा

‘वेन उदार है….’ ‘वेन वीर है….’ ‘वेन निष्पक्ष, न्यायकर्ता है….’ ‘वेन का जन में विश्वास है….’ ‘अब से वेन ही हमारे सम्राट होंगे….’ ‘सम्राट अमर रहें….’ जयघोष के साथ दर्जनों मुट्ठियां हवा में लहराने लगीं. लोग खुशी से चिल्ला उठे. वेन को सम्राट चुन लिया गया. ऋषिकुल देखते रह गए. अभी तक उन्होंने राजतंत्रों को […]

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जंगलतंत्र

प्यास बुझाने की चाहत में नदी तट पर पहुंची बकरी वहां मौजूद शेर को देख ठिठक गई. शेर ने गर्दन घुमाई और चेहरे को भरसक सौम्य बनाता हुआ बोला—‘अरे, रुक क्यों गई, आगे आओ. नदी पर जितना मेरा अधिकार है, उतना तुम्हारा भी है.’ शेर की बात को बकरी टाले भी तो कैसे! उसने मौत […]

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जागे हुए लोग

न जाने किस डर से ईश्वर की नींद टूट गई. पति को पसीना–पसीना देख ईश्वर पत्नी ने पूछा— ‘क्या हुआ प्रिय!’ ईश्वर की धड़कनें तेज थीं. एकाएक कुछ बोल न पाया. पत्नी ने दुबारा वही प्रश्न किया तो डरा–घबराया बोला— ‘मैंने सपने में देखा, बहुत सारे लोग, भूख, नंगे, नरकंकाल की तरह मेरी ओर दौड़े […]

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