Tag Archive | किस्सा-कहानी
आधुनिक लोककथाएं
जनविद्रोह तानाशाह का मन एक बकरी पर आ गया. बकरी भी अजीब थी. बाकी लोगों के आगे ‘मैं…मैं’ करती, परंतु तानाशाह के सामने आते ही चुप्पी साध लेती थी. तानाशाह उसकी उसकी गर्दन दबोचता. टांगें मरोड़ता. कानों को ऐंठ–ऐंठकर लाल कर देता. बकरी तानाशाह की टांगों में सिर फंसाकर खेल खेलती. दर्द भुलाकर उसकी हथेलियों […]
अछूत
ईश्वर पुजारी को रोज चढ़ावा समेटकर घर ले जाते हुए देखता. उसे आश्चर्य होता. दिन–भर श्रद्धालुओं को त्याग और मोह–ममता से दूर रहने का उपदेश देने वाला पुजारी इतने सारे चढ़ावे का क्या करता होगा? एक दिन उसने टोक ही दिया—‘तुम रोज इतना चढ़ावा घर ले जाते हो. अच्छा है, उसे मंदिर के आगे खड़े […]
राजा बदरंगा है
तानाशाह को नए–नए वस्त्रों का शौक था. दिन में चार–चार पोशाकें बदलता. एक दिन की बात. कोई भी पोशाक उसे भा नहीं रही थी. तुरंत दर्जी को तलब किया गया. ‘हमारे लिए ऐसी पोशाक बनाई जाए, जैसी दुनिया के किसी बादशाह ने, कभी न पहनी हो.’ तानाशाह ने दर्जी से कहा. दर्जी बराबर में रखे […]
तानाशाह—दो
बड़े तानाशाह के संरक्षण में छोटा तानाशाह पनपा. मौका देख उसने भी हंटर फटकारा—‘सूबे में वही होगा, जो मैं चाहूंगा. जो आदेश का उल्लंघन करेगा, उसे राष्ट्रद्रोह की सजा मिलेगी.’ हंटर की आवाज जहां तक गई, लोग सहम गए. छोटा तानाशाह खुश हुआ. उसने फौरन आदेश निकाला—‘गधा इस देश का राष्ट्रीय पशु है, उसे जो […]
तानाशाह
तानाशाह ने हंटर फटकारा —‘मैं पूरे राज्य में अमन–चैन कायम करने की घोषणा करता हूं. कुछ दिन के बाद तानाशाह ने सबसे बड़े अधिकारी को बुलाकर पूछा—‘घोषणा पर कितना अमल हुआ?’ ‘आपका इकबाल बुलंद है सर! पूरे राज्य में दंगा–फसाद, चोरी चकारी, लूट–मार पर लगाम लगी है. आपकी इच्छा के बिना लोग सांस तक लेना […]
वयं ब्रह्माव
तानाशाह हंटर फटकारता है. लोग सहमकर जमीन पर बिछ जाते हैं. कुछ पल बाद उनमें से एक सोचता है—‘तानाशाही की उम्र थोड़ी है. जनता शाश्वत है.’ उसके मन का डर फीका पड़ने लगता है. ‘अहं ब्रह्मास्मिः!’ कहते हुए वह उठ जाता है. उसकी देखा–देखी कुछ और लोग खड़े हो जाते हैं. सहसा एक नाद आसमान […]
वेन की कथा
‘वेन उदार है….’ ‘वेन वीर है….’ ‘वेन निष्पक्ष, न्यायकर्ता है….’ ‘वेन का जन में विश्वास है….’ ‘अब से वेन ही हमारे सम्राट होंगे….’ ‘सम्राट अमर रहें….’ जयघोष के साथ दर्जनों मुट्ठियां हवा में लहराने लगीं. लोग खुशी से चिल्ला उठे. वेन को सम्राट चुन लिया गया. ऋषिकुल देखते रह गए. अभी तक उन्होंने राजतंत्रों को […]
औरत
बहू को ससुराल आए सात वर्ष हो चुके थे, परंतु सास-बहू दोनों में किसी को किसी से शिकायत न थी. बहू की कोशिश रहती कि ससुराल और मैके में कोई फर्क न समझे. रिश्तों की मर्यादा बनाए रखे. ऐसा करते-करते वह एकदम बेटी बन जाती. सास ऐसी कि मां और सास का अंतर पता न […]
नियुक्ति
अकादमी के शीर्षस्थ पद के लिए प्रत्याशियों को बुलाया गया. भर्ती के लिए दो प्रकार की परीक्षाएं तय थीं. पहली परीक्षा के लिए प्रत्याशियों को एक हॉल में बिठाया गया. उनके ठीक सामने एक मंदिर था. मंदिर में एक त्रिशूल रखा गया था. त्रिशूल के आगे पत्र-पुष्प, फूलमालाएं, चंदन लेप, धूप-दीप-नैवेद्य रखे थे. बराबर में […]
जंगलतंत्र
प्यास बुझाने की चाहत में नदी तट पर पहुंची बकरी वहां मौजूद शेर को देख ठिठक गई. शेर ने गर्दन घुमाई और चेहरे को भरसक सौम्य बनाता हुआ बोला—‘अरे, रुक क्यों गई, आगे आओ. नदी पर जितना मेरा अधिकार है, उतना तुम्हारा भी है.’ शेर की बात को बकरी टाले भी तो कैसे! उसने मौत […]