दंश : तैइसवीं किश्त
दंश : तैइसवीं किश्त
धारावाहिक उपन्यास जमींदारी समाप्त हो चुकी थी. मगर पूंजी के साथ नए किस्म का सामंतवाद अपनी जगह बना रहा था. विल्मोर का कारोबार बड़ी तेजी से जम रहा था. केवल चार साल के छोटे से अंतराल में कंपनी की सालाना बिक्री दो गुनी हो चुकी थी. कंपनी को अपने नए कारखाने के लिए जमीन की […]