किस्सा-कहानी
आधुनिक लोककथा/ईश्वर की मौत
ईश्वर की मौत देवनगरी से संदेश वायरल हुआ कि बीती रात ईश्वर दिवंगत हुआ. अगले सात दिनों तक तीनों लोकों में शोककाल लागू रहेगा. इस दौरान न तो इंद्रलोक में अप्सराओं का नृत्य होगा. न कोई हवन, कीर्तन, पूजा–पाठ वगैरह. संदेश की प्रति आधिकारिक रूप से भी तीनों लोकों में पहुंचा दी गई. नारद चाहते […]
आधुनिक लोककथाएं
जनविद्रोह तानाशाह का मन एक बकरी पर आ गया. बकरी भी अजीब थी. बाकी लोगों के आगे ‘मैं…मैं’ करती, परंतु तानाशाह के सामने आते ही चुप्पी साध लेती थी. तानाशाह उसकी उसकी गर्दन दबोचता. टांगें मरोड़ता. कानों को ऐंठ–ऐंठकर लाल कर देता. बकरी तानाशाह की टांगों में सिर फंसाकर खेल खेलती. दर्द भुलाकर उसकी हथेलियों […]
आधुनिक लोककथाएं
आधुनिक लोककथा —एक गाय और भैंस को प्यास लगी. दोनों पानी पीने चल दीं. चलते–चलते गाय ने भैंस से कहा—‘मैं वर्षों तक न भी नहाऊं तब भी पवित्र कही जाऊँगी. ‘कोई क्या कहता है, से ज्यादा जरूरी अपनी असलियत पहचानना है.’ भैंस बोली. गाय की कुछ समझ में न आया, बोली—‘मैं समझी नहीं, तू चाहती […]
औरत
बहू को ससुराल आए सात वर्ष हो चुके थे, परंतु सास-बहू दोनों में किसी को किसी से शिकायत न थी. बहू की कोशिश रहती कि ससुराल और मैके में कोई फर्क न समझे. रिश्तों की मर्यादा बनाए रखे. ऐसा करते-करते वह एकदम बेटी बन जाती. सास ऐसी कि मां और सास का अंतर पता न […]
जंगलतंत्र
प्यास बुझाने की चाहत में नदी तट पर पहुंची बकरी वहां मौजूद शेर को देख ठिठक गई. शेर ने गर्दन घुमाई और चेहरे को भरसक सौम्य बनाता हुआ बोला—‘अरे, रुक क्यों गई, आगे आओ. नदी पर जितना मेरा अधिकार है, उतना तुम्हारा भी है.’ शेर की बात को बकरी टाले भी तो कैसे! उसने मौत […]
जागे हुए लोग
न जाने किस डर से ईश्वर की नींद टूट गई. पति को पसीना–पसीना देख ईश्वर पत्नी ने पूछा— ‘क्या हुआ प्रिय!’ ईश्वर की धड़कनें तेज थीं. एकाएक कुछ बोल न पाया. पत्नी ने दुबारा वही प्रश्न किया तो डरा–घबराया बोला— ‘मैंने सपने में देखा, बहुत सारे लोग, भूख, नंगे, नरकंकाल की तरह मेरी ओर दौड़े […]
कलयुग का दर्पीला राजा
कहानी आर्यवृत्त की है. वहां कलयुग के राजा ने आलीशान महल बनवाया. सागर तट पर बनी उस 27 मंजिला इमारत में सैकड़ों कमरे थे. महल में सोने के प्रस्तर थे, चांदी की छड़ें. महंगे आयातित कालीन. झाड़–फानूस, रंगीन लाइटें. आयातित मार्बल से बने स्नानगृह, आसमान की थाह मापने के लिए चार–चार उड़नखटोले. इमारत तैयार होने […]
अफीम
कुछ आदमियों की देखादेखी सियार ने भी ‘भगवान’ बनने की सोची. उसने बकरियों को इकटठा किया और प्रवचन करने लगा. कुछ ही देर में दर्जनों बकरियां वहां जमा हो गईं. सियार जो सुनकर गया था उसी को दोहराने लगा— ‘यह काया मिट्टी की है. इसका मोह कभी मत करना. इससे किसी का उपकार हो तो […]
भिखारी और ईश्वर
एक भिखारी हाथ में रोटी लिए मंदिर के द्वार पर पहुंचा और उसकी सीढ़ियों पर बैठकर खाने लगा. सहसा पीछे आहट हुई. भिखारी ने गर्दन घुमाई, देखा—ईश्वर है. भिखारी रोटी खाने में जुट गया. ‘तुम मेरे नाम पर रोटी मांगकर लाए हो, मुझसे पूछोगे नहीं?’ ईश्वर का स्वर शिकायती था. ‘पूरे दिन पुजारी तुम्हारे नाम […]
नींद
मुंह अंधेरे चक्की की घरघराहट सुन ईश्वर की नींद उचट गई— ‘ऊंह! दिन–भर घंटों की आवाज और रात को चक्की की घर्र–घर्र, लोग सोने तक ही नहीं देते, लगता है पागल हो जाऊंगा!’ ईश्वर बड़बड़ाया और उठकर आवाज की दिशा में बढ़ गया. एक झोपड़ी के आगे वह रुका. दरवाजा खड़खड़ाने जा रहा था कि […]