Archive | जुलाई 2017

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राजा बदरंगा है

तानाशाह को नए–नए वस्त्रों का शौक था. दिन में चार–चार पोशाकें बदलता. एक दिन की बात. कोई भी पोशाक उसे भा नहीं रही थी. तुरंत दर्जी को तलब किया गया. ‘हमारे लिए ऐसी पोशाक बनाई जाए, जैसी दुनिया के किसी बादशाह ने, कभी न पहनी हो.’ तानाशाह ने दर्जी से कहा. दर्जी बराबर में रखे […]

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तानाशाह—दो

बड़े तानाशाह के संरक्षण में छोटा तानाशाह पनपा. मौका देख उसने भी हंटर फटकारा—‘सूबे में वही होगा, जो मैं चाहूंगा. जो आदेश का उल्लंघन करेगा, उसे राष्ट्रद्रोह की सजा मिलेगी.’ हंटर की आवाज जहां तक गई, लोग सहम गए. छोटा तानाशाह खुश हुआ. उसने फौरन आदेश निकाला—‘गधा इस देश का राष्ट्रीय पशु है, उसे जो […]

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मंत्रबल

बैठे-ठाले संघ के सिद्ध–पुरुष का मंत्र द्वारा चीन के छक्के छुड़ाने का बयान सुन, एक उत्साही पत्रकार उनके दरबार में जा धमका— ‘सर! यदि मंत्र–जाप द्वारा दुश्मन की कमर तोड़ी जा सकती है तो परमाणु बम बनाने के लिए अरबों रुपये खर्च करने की क्या आवश्यकता है?’ ‘हट बुड़बक!’ सिद्ध–पुरुष का चेहरा तमतमा गया. आंखें […]

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तानाशाह

तानाशाह ने हंटर फटकारा —‘मैं पूरे राज्य में अमन–चैन कायम करने की घोषणा करता हूं. कुछ दिन के बाद तानाशाह ने सबसे बड़े अधिकारी को बुलाकर पूछा—‘घोषणा पर कितना अमल हुआ?’ ‘आपका इकबाल बुलंद है सर! पूरे राज्य में दंगा–फसाद, चोरी चकारी, लूट–मार पर लगाम लगी है. आपकी इच्छा के बिना लोग सांस तक लेना […]

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छोटा मंदिर : बड़ा मंदिर

एकांत देख बड़े मंदिर का ईश्वर अपने स्थान से उठा. बैठे–बैठे शरीर अकड़ा, पेट अफरा हुआ था. डकार लेते–लेते नजर सामने खड़ी कृषकाय आकृति पर नजर पड़ी. बड़े मंदिर का ईश्वर कुछ पूछे उससे पहले ही वह बोल पड़ी—— ‘हम दोनों एक हैं.’ ‘होंगे, मुझे क्या!’ बड़े मंदिर के ईश्वर ने तपाक से कहा. ‘बस्ती […]

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वयं ब्रह्माव

तानाशाह हंटर फटकारता है. लोग सहमकर जमीन पर बिछ जाते हैं. कुछ पल बाद उनमें से एक सोचता है—‘तानाशाही की उम्र थोड़ी है. जनता शाश्वत है.’ उसके मन का डर फीका पड़ने लगता है. ‘अहं ब्रह्मास्मिः!’ कहते हुए वह उठ जाता है. उसकी देखा–देखी कुछ और लोग खड़े हो जाते हैं. सहसा एक नाद आसमान […]

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