Archive | जुलाई 2010

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दंश : बारहबीं किश्त

धारावहिक उपन्यास यही छल तो गरीबी का सच है. मां ने दुख और अभावों को गले लगाया था. तमाम उम्र वह दूसरों के लिए संघर्ष करती रही. खटती रही अपने परिवार के लिए दिन–रात. किसी से भी कभी शिकायत नहीं की. कभी किसी से कुछ मांगा भी नहीं. मां के जीवन की विडंबना भी यही […]

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