धारावाहिक उपन्यास
[मित्रो! लंबे विराम के बाद संधान पर मैं फिर उपस्थित हूं. इस बार संभवत: लंबी मुलाकात के लिए. यह मुलाकात किश्तों में चलेगी. माध्यम होगा उपन्यास—दंश. यह मान लिया गया है कि इंटरनेट लंबी रचनाओं के लिए नहीं है. मेरा मानना है कि गंभीर पाठक रचना की लंबाई नहीं, उसकी गुणवत्ता पर निगाह रखते हैं. एक बार यदि कोई रचना पाठकों की पारखी निगाह को चढ़ जाए तो फिर उसको पाठकों की कमी नहीं रहती. इसी विश्वास के साथ मैं यह उपन्यास पाठकों के लिए प्रस्तुत कर रहा हूं. इस निवेदन के साथ कि यदि यह सचमुच पठनीय है, यदि इसमें जरा भी साहित्यिकता है तो कृपया मेरा उत्साहवर्धन करें. वरना कोई बाध्यता नहीं है. मुझे भी जब लगेगा कि पाठक बोर होने लगे हैं तो तत्काल विराम दे दूंगा…
आप सभी मित्रों के साथ सजग संवाद की अपेक्षा में उपन्यास दंश की पहली किश्त प्रस्तुत है. —ओमप्रकाश कश्यप]
पहली किश्त
उद्बोधन
अच्छा लग रहा है ये अंश आगली कडी का इन्तज़ार रहेगा धन्यवाद्