Archive | जुलाई 2009
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सपने की खातिर
कुत्ते का नया मालिक गरीब था. खेतिहर मजदूर. पति-पत्नी दोनों मजदूरी करते, तब कहीं जाकर घर का चूल्हा जलता था. मगर गरीब होने के बावजूद उनकी आंखों में सपने थे. सपनों को मुट्ठी में बांधने का हौसला भी. यह हौसला वे बहुत पहले ही दर्शा चुके थे. उस समय जब दूसरे पुत्र के जन्म के […]
धूर्त
मंदिर में बराबर-बराबर खड़े होकर पूजा करते दो भक्तों में से प्रत्येक को सहसा यह लगा कि ईश्वर उसी को देखकर मुस्करा रहे हैं. उन्होंने एक-दूसरे की आंखों में झांका, एक बोला— ‘देखा, भगवान मेरी ओर देखकर कैसे मुस्करा रहे थे. आज मेरी बर्षों की तपस्या सफल हुई.’ ‘मेरी आंखें भले ही बंद थीं. मगर […]
बेशरमी
भीषण गरमी का सताया हुआ कुत्ता नदी तट पर पहुंचा तो उसको लगा कि वह मौत के मुंह से बचकर वापस जीवन–नगरी आ पहुंचा है. कुछ न सोचते हुए उसने नदी में छलांग लगा दी. भूल गया कि जिस जगह उसने छलांग लगाई है, वह तीर्थस्थल के रूप में ख्यात है. और जिस दिन वह […]
ईश्वर -चार
ब्रह्ममुहुर्त की बेला में ईश्वर की आंखें खुलीं. अंगड़ाई ली. स्वर्ग की मंद–सुगंधित मलय से मन प्रफुल्लित हो उठा. शुभ प्रभात के पावन–तरल स्पर्श से एक नया–नवेला विचार मन में कौंधा— ‘बहुत दिन हुए वर्तमान सृष्टि को रचे हुए. अब कुछ नया करना चाहिए..’ ईश्वर–पत्नी को भी यह विचार बहुत रुचा—‘बहुत उत्तम विचार है, भगवन्! […]
आंखें पूरा सच नहीं देख पातीं
अपने परिवार के साथ बाज़ार से गुजरता हुआ पिल्ला एक ऊंची इमारत देख अचानक ठिठक गया. बड़े गौर से उसको देखते हुए बोला— बापू, इस इमारत का मालिक कितना बड़ा आदमी है.’ ‘हर चमकदार चीज सोना नहीं होती बेटे.’ कुत्ते ने पुरानी कहावत दोहरा दी. तभी ऊंची इमारत से एक आदमी निकला. उसके चेहरे पर […]
आदमी दिल का बुरा नहीं होता
किसान ने अपने खेत को धूं–धूं जलते देखा और माथा पकड़ लिया. आग उसकी साल–भर की मेहनत और अरमानों पर पानी फेर चुकी थी. फसल ठीक–ठाक घर आ जाती तो वह इस बार पत्नी का ऑपरेशन करवा लेता, जिसे पिछले वर्ष डॉक्टर के जरूरी बनाने के बावजूट टालना पड़ा था. अब कैसे कटेगा पूरा साल! […]
स्वाभिमान
शहर की भीड़भाड़ से उकताया हुआ कुत्ता जंगल की ओर चल दिया. बस्ती से बाहर आते ही उसकी निगाह एक औरत पर पड़ी, सिर पर लकड़ियों का बड़ा–सा गट्ठर उठाए वह शहर की ओर जा रही थी. गट्ठर भारी होने के कारण उसे चलने में परेशानी हो रही थी. ‘इतना कठिन जीवन जीने वाला मनुष्य […]
पैनी नजर
कुत्ता अपने परिवार के साथ जा रहा था. बच्चे शरारती थे. चलते-चलते वे धमाचौकड़ी करने लगते. इसपर मां समझाती. सीमा में रहने को कहती. पर बच्चे तो बच्चे. कुछ देर याद रखते. उसके बाद भूलकर फिर शैतानी पर उतर आते. ‘तुम इन्हें समझाने के बजाय उल्टे हंसकर टाल देते हो, क्या बच्चों को पालना सिर्फ […]