Archive | जून 2009
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नकली ईश्वर
कुत्ता मंदिर के आगे से गुजर रहा था कि भीतर से आवाज सुनाई पड़ी. कुत्ते ने चौंककर गर्दन घुमाई. मंदिर के दरवाजे पर खड़े ईश्वर उसे बुला रहे थे. वह खिंचता चला गया. ‘सुनो, भीतर भोग में आए लड्डू, पेढ़ा, मेवा, मिष्ठान, खीर–पूरी, फल वगैरह रखे हैं, तुम उनमें से जितना चाहे खा सकते हो, […]
खुद को संवारो
हजारों श्रोताओं के बीच संत उपदेश दे रहे थे. ‘मनुष्यता बहुत ऊंची चीज है. हमें अपने लिए अपने परिवार, अपने राष्ट्र और अपने समाज के लिए उसके आदर्शों का पालन करना चाहिए. कैंसे आदर्श, यही कि हम बुराइयों से बचें, आपस में लड़ें–झगड़ें नहीं, मिलजुल–कर रहें मिलबांट कर खाएं और दूसरों के साथ वही व्यवहार […]
मालिक
भोजन की तलाश में दर-दर भटकने से ऊब चुका पिल्ला मां से बोल—‘मां, रोटी के लिए यहां-वहां ठोकर खाने में बड़ा अपमान महसूस होता है. जिसकी मर्जी हो एकाध टुकड़ा डाल देता है, अधिकांश तो दुत्कार ही देते हैं. क्यों न हम अपने लिए एक मालिक की तलाश कर लें.’ ‘बेटा, आसान दिखने वाली रोटी […]
शब्द बेकार नहीं जाते
प्रवचन चालू था, कुत्ता ठिठककर सुनने लगा. ‘पृथ्वी–पावक–जल– गगन–समीरा…पंचतत्व यह रचहिं शरीरा–इन पांच तत्वों की खरीद–फरोख्त करना इंसानियत के खिलाफ है. जब यह लगने लगे कि लोगों ने इन्हें धंधा बना लिया तो समझ लो कि सृष्टि का अंत निकट है.’ इससे अधिक कुत्ता सुन न सका. उसका धैर्य जबाव दे गया. भाषण के बीच […]
बड़ा ठग
कुत्ता जंगल से गुजर रहा था. रास्ते में उसे एक आदमी सिर पर मुंडासा–सा बांधे हुए दिखाई पड़ा. उसका चेहरा जाना–पहचाना था. मगर कुत्ते को कुछ याद न आया. कुछ और आगे बढ़ा तो तीन आदमियों को एक वृक्ष के नीचे बातचीत करते हुए देखा. उन्हें पहचानने के प्रयास में कुत्ते की चाल मंथरा गई. […]
दर्शन
दोपहरी में धूप आसमान पिघलाने की जी-तोड़ कोशिश में लगी थी. कुछ पल आराम की कोशिश में कुत्ता ठिकाने की तलाश में मंदिर की ओर निकला. वहां दरवाजे पर पुजारी को देखकर वह सहम गया. ‘आप अभी तक यहीं हैं?’ कुत्ते ने पीछे हटते हुए पूछा. पुजारी कुछ कहे, उससे पहले की उसकी दृष्टि रास्ते […]
हवेली का मालिक
कुत्ते का मन अपनी बस्ती से ऊबा तो वह अनजान दिशा की ओर बढ़ गया. उसे नए ठिकाने की तलाश थी. चलता–चलता वह एक हवेली के आगे रुका. दरवाजे पर घोड़ा बंधा था. दूर से चलकर आया हुआ. पसीना घोड़े की पीठ से बहता हुआ टांगों और पूंछ के रास्ते जमीन में समा रहा था. […]
पागलपन
कुत्ते को लगा कि वह बहुत भटक लिया. और अधिक सड़कछाप रहने से लाभ नहीं. उचित होगा कि नया मालिक ढूंढ लिया जाए. इसी के साथ वह नए मालिक की तलाश में जुट गया. भटकता हुआ वह एक वकील के घर पहुंचा. कुत्ते की बात सुनने के पश्चात वह बोला— ‘तुम्हें भले–बुरे की पहचान तो […]
हंसी जिम्मेदारी का धर्म है
‘बापू ईश्वर ने सिर्फ आदमी को ही हंसना क्यों सिखाया?’ पिल्ले ने प्रश्न किया तो कुत्ते की बोलती बंद. ठीक-ठीक तो क्या, आसपास का भी जवाब नहीं सूझा. ‘अगर मैं आदमी होता तो किसी पुस्तक में देखकर आसानी से बता देता…आज पहली बार लग रहा है कि मृत्युलोक में जानवर होना भी एक सजा है.’ […]
ईश्वर की हत्या
‘ईश्वर मर चुका है, हमने उसकी हत्या की है.’ नीत्शे का कहा जैसे ही कुत्ते ने सुना, उसके कान खड़े हो गए. वह घबरा गया. जो ईश्वर बिना हथियार कहीं आता–जाता नहीं, भूत, भविष्य, वर्तमान की खबर रखता है, उसकी हत्या भला कौन कर सकता है. और अगर हत्या हुई है तो ईश्वर के भरोसेमंद […]