Archive | अप्रैल 2009

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जैसा उन्होंने किया, वैसा कोई न करे.

  कुत्ता अपने परिवार से मिला तो बहुत थका हुआ था. कुतिया उसके इंतजार में थी. परिवार के मुखिया को आते देख वह फौरन उसके पास दौड़कर पहुंच गई. ‘क्यों जी, इतने दिनों में क्या तुम्हें मेरी जरा–भी याद नहीं आई?’ कुतिया ने प्यार–भरा उलाहना दिया. ‘मैं मीलों चलकर तेरे पास पहुंचा हूं, क्या यह […]

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धर्म के नाम पर

भीषण ठंड वाली रात….वर्षा से भीगती सर्द हवाओं से दांत किटकिटाती हुई. सभी अपने–अपने घर–झोंपड़े में दुबके हुए थे. अचानक एक कुत्ता दंपति अपने पिल्लों के साथ भटकता हुआ उधर से गुजरा. उन्हें रात बिताने के लिए आसरे की तलाश थी. लेकिन घरों के दरवाजे बंद थे. तभी बिजली कड़की और उसकी चमक पिल्ले की […]

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कहानी की तलाश

एक कुतिया अपने बच्चे के साथ लेटी थी. रात का समय था. तभी  उसका पिल्ला कहने लगा— ‘नींद नहीं आती मां, कोई कहानी कह जो रात कटे.’ ‘तो जगबीती सुन.’ कुतिया ने कहानी छेड़ दी— ‘एक आदमी था….’ ‘बस–बस रहने दे मां! अब तू कहेगी कि वह ईमानदार था. मेहनती और सच्चा था. अपने पड़ोसियों से […]

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अपना-अपना धर्म

पुरानी बस्ती में लौटने पर कुतिया ने राहत की सांस ली. सब बच्चों को साथ देख उसको तसल्ली हुई. उसने इधर–उधर नजर घुमाई. जैसे किसी को खोज रही हो. मन में थोड़ी निराशा पनपी. मगर जल्दी ही उबर गई. दूर से चलकर आने के कारण शरीर थका हुआ था. इसलिए कुछ देर आराम करने का […]

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ईश्वर की वापसी

  कुत्ता एक ऐसे मैदान में पहुंचा जिसके चारों कोनों पर मंदिर, मस्जिद, गिरिजाघर और गुरुद्वारा बने थे. उनके पीछे ऊंचे-ऊंचे घर थे, वैभव और संपन्नता में एक-दूसरे से होड़ लेते हुए.                  ‘उम्मीद है कि यहां खाने-पीने की अफरात रहेगी. इसलिए कुछ दिन तो यहां आराम से बिता ही सकूंगा.’ सोचते हुए कुत्ता वहीं […]

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खुद बुरा तो जग भी बुरा

कुतिया  का जी खट्टा हो चुका था. उसे पूरी बस्ती एक कैदखाना लगने लगी. लेकिन बच्चे तो बच्चे थे. थोड़ी देर बाद सब भूल–भालकर फिर धमा–चैकड़ी मचाने लगे. ‘मां, एक बात बता, आदमी क्या सचमुच इतना ही बुरा है.?’ एक पिल्ले ने प्रश्न उछाला. ‘नहीं बेटा, अगर चारों तरफ बुराई ही बुराई हो तो यह […]

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सभ्यता का मोल

कुत्ता–कुतिया  अपने परिवार के साथ आगे बढ़ रहे  थे. इस बार बच्चे शांत थे. मानो धमाचौकड़ी और चुस्ती–फुर्ती सब भूल चुके हों. कुतिया जल्दी से जल्दी किसी साधारण बस्ती में पहुंच जाना चाहती थी. मगर उससे अगली बस्ती भी संभ्रांत लोगों की थी. चारों ओर आलीशान कोठियां जगमगा रही थीं. कुतिया उस बस्ती को जल्दी […]

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गुलाम

Version:1.0 StartHTML:0000000168 EndHTML:0000024834 StartFragment:0000000471 EndFragment:0000024817    एक कुत्ता अपने परिवार के साथ विचरण कर रहा था. साथ में कुतिया थी, उसकी पत्नी, और छोटे–बड़े कई बच्चे भी. जिनमें तीन नर थे, बाकी मादा. परिवार के छोटे बच्चे अपने स्वभाव के अनुसार रास्ते में शरारत करते हुए चल रहे थे. कुत्ता कभी उन्हें फटकारता, कभी पीठ […]

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धर्मांधता

Version:1.0 StartHTML:0000000168 EndHTML:0000011530 StartFragment:0000000471 EndFragment:0000011513 एक कुत्ता अपने परिवार के साथ सैर को निकला. छोटा–सा परिवार था उसका. पति–पत्नी और साथ में तीन बच्चे. कुतिया और कुत्ता आपस में बतिया रहे थे. कुतिया बोली— ‘आदमी होना कितना अच्छा है!’ ‘हूं…’ कुत्ते ने हामी भरी….सिर्फ हामी. ‘आदमी ने अपने रहने के लिए ऊंचे–ऊंचे मकान बनाए हुए […]

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पप्पु मत बन

Version:1.0 StartHTML:0000000168 EndHTML:0000036051 StartFragment:0000000471 EndFragment:0000036034 फत्तु उठ. नहा–धो. पूजा–पाठ कर. आलस छोड़. बोतल निकाल. एक–दो घूंट मार. नेता नाम ले. वोट डालने चल. फत्तु मन में ले विश्वास, बिन किसी आस, भूखे पेट, नंगे पांव, हंसते हुए चेहरे, सूनी आंखों सहित वोट डालने चल. जल्दी–जल्दी चल. देर मत कर. लोकतंत्र का सारथी, चुनाव का महारथी […]

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